Naik Dilwar Khan नाइक दिलवर खान (कीर्ति चक्र) – 28 राष्ट्रीय राइफल्स के शौर्य की पराकाष्ठा
परिचय: कर्तव्य, साहस और बलिदान की मिसाल
Naik Dilwar Khan :भारतीय सेना का इतिहास असंख्य वीर गाथाओं से भरा पड़ा है, और इनमें से प्रत्येक कहानी देश के प्रति अटूट निष्ठा और सर्वोच्च बलिदान की भावना को दर्शाती है। आज हम एक ऐसे ही अदम्य साहसी सिपाही, नाइक दिलवर खान को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, जिनका नाम शांतिकाल के दूसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से जुड़ा है। नाइक दिलवर खान मूल रूप से भारतीय सेना की तोपखाना रेजीमेंट (Regiment of Artillery) का हिस्सा थे, लेकिन अपने शौर्य और समर्पण के कारण वह प्रतिनियुक्ति पर 28वीं बटालियन राष्ट्रीय राइफल्स (28 RR) की विशिष्ट आतंकवाद-विरोधी इकाई में सेवारत थे। उनका बलिदान, सैन्य पराक्रम और राष्ट्र प्रेम की एक अमर मिसाल है।

ऑपरेशन लोलाब: जब देश पहले आया
यह घटना जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में स्थित लोलाब घाटी के घने और दुर्गम जंगलों में हुई थी। यह क्षेत्र अक्सर घुसपैठ करने वाले और स्थानीय आतंकवादियों का ठिकाना माना जाता है। नाइक दिलवर खान अपनी टीम के साथ एक उच्च जोखिम वाले आतंकवाद-विरोधी अभियान पर थे, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र से आतंकवादियों का सफाया करना था।
निर्णायक मुठभेड़ का विवरण
तलाशी और घेराबंदी (Search and Cordon) अभियान के दौरान, टीम पर आतंकवादियों के एक समूह ने घात लगाकर भारी गोलीबारी शुरू कर दी। अचानक हुए इस हमले से टीम गंभीर रूप से खतरे में पड़ गई। Naik Dilwar Khan नाइक दिलवर खान सबसे आगे की पंक्ति में थे और उन्होंने स्थिति की गंभीरता को तुरंत भाँप लिया। उन्होंने देखा कि एक खतरनाक आतंकवादी घने आवरण का फायदा उठाकर उनके साथियों पर लगातार गोलीबारी कर रहा था और टीम की जान को खतरा पहुँचा रहा था।
अपनी जान की परवाह किए बिना, Naik Dilwar Khan नाइक खान ने दुश्मन के फायर की दिशा में चतुराई से आगे बढ़ने का फैसला किया। उन्होंने तीव्र गति से आतंकवादी की स्थिति तक पहुँचने के लिए जोखिम उठाया। जब वह आतंकवादी के पास पहुंचे, तो एक बेहद करीब और व्यक्तिगत मुकाबला शुरू हो गया।
सर्वोच्च बलिदान
स्थिति इतनी विकट थी कि वह विशुद्ध रूप से आमने-सामने की लड़ाई (Hand-to-Hand Combat) में बदल गई। इस भयंकर संघर्ष में, Naik Dilwar Khan नाइक दिलवर खान ने अभूतपूर्व शारीरिक शक्ति और लड़ने की इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया। अपनी चोटों के बावजूद, उन्होंने आतंकवादी पर निर्णायक वार किया और उसे ढेर कर दिया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि खतरा समाप्त हो गया है।
हालांकि, आतंकवादी को मार गिराने की इस प्रक्रिया में, नाइक खान को कई गंभीर चोटें आईं। उन्होंने अपने अंतिम क्षणों तक बहादुरी की मिसाल कायम की और अंततः अपनी मातृभूमि की सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। उनके इस अत्यंत साहसिक कार्य ने न केवल उनके साथियों की जान बचाई, बल्कि पूरे ऑपरेशन को भी सफलता की ओर बढ़ाया।
कीर्ति चक्र: बहादुरी का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान

Naik Dilwar Khan नाइक दिलवर खान के इस असाधारण शौर्य और सर्वोच्च बलिदान को राष्ट्र ने सम्मान दिया। उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र (Kirti Chakra) से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार शांतिकाल के दौरान जमीन, समुद्र या हवा में, युद्ध के मैदान से दूर, प्रदर्शित किए गए “असाधारण शौर्य या विशिष्ट बहादुरी या आत्म-बलिदान” के लिए दिया जाता है।
उनका प्रशस्ति पत्र (Citation) उनके साहस को इन शब्दों में वर्णित करता है: “अत्यधिक प्रतिकूल परिस्थितियों में अद्वितीय बहादुरी, असाधारण नेतृत्व और राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान।” यह सम्मान न केवल नाइक खान की वीरता को दर्शाता है, बल्कि उनकी मूल रेजिमेंट – तोपखाना रेजीमेंट और उनकी सेवारत यूनिट – 28 राष्ट्रीय राइफल्स के उच्च पेशेवर मानकों को भी प्रदर्शित करता है।
राष्ट्रीय राइफल्स

नाइक दिलवर खान 28 राष्ट्रीय राइफल्स का एक अभिन्न अंग थे। राष्ट्रीय राइफल्स (RR) भारतीय सेना की सबसे दुर्जेय आतंकवाद-विरोधी इकाई है, जो कश्मीर में उग्रवाद से लड़ती है। इस बल के जवान देश की विभिन्न रेजीमेंटों से प्रतिनियुक्ति पर आते हैं, और ये सबसे खतरनाक अभियानों में निडर होकर हिस्सा लेते हैं। नाइक खान जैसे वीरों का बलिदान राष्ट्रीय राइफल्स की उस अदम्य भावना को दर्शाता है जो किसी भी कीमत पर देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
नाइक दिलवर खान एक सच्चे सिपाही थे, जिन्होंने यह साबित कर दिया कि राष्ट्र की सुरक्षा से बढ़कर कुछ नहीं है। उनका सर्वोच्च बलिदान हमारे देश की रक्षा में लगे हर सैनिक के साहस और समर्पण का प्रतीक है। उनकी कहानी हमें प्रेरणा देती रहेगी और भावी पीढ़ियों को यह याद दिलाती रहेगी कि हमारी आज़ादी और शांति की कीमत इन वीर सपूतों के खून से चुकाई गई है।
हम नाइक दिलवर खान के शौर्य को नमन करते हैं। जय हिन्द!

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