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Paratrooper Gautam Lal
Sena Medal

Paratrooper Gautam Lal पैराट्रूपर गौतम लाल, सेना मेडल (मरणोपरांत)

Paratrooper Gautam Lal उत्तराखंड के वीर सपूत की कहानी जिसने 21 पैरा (SF) कमांडो बनकर देश की सेवा में खुद को समर्पित किया

भारत की सैन्य शक्ति, उसके जवानों के असाधारण साहस और बलिदान पर टिकी है। Paratrooper Gautam Lal पैराट्रूपर गौतम लाल भारतीय सेना के उन अनमोल हीरों में से एक थे, जिन्होंने अपने जीवन को देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के नौली गाँव से निकलकर, उन्होंने भारतीय सेना के सबसे दुर्जेय बल, 21 पैरा (स्पेशल फोर्सेज) का हिस्सा बनकर, यह साबित किया कि व्यक्तिगत कठिनाइयाँ राष्ट्र के प्रति समर्पण के सामने गौण होती हैं।

Paratrooper Gautam Lal
Paratrooper Gautam Lal

Paratrooper Gautam Lal साधारण पृष्ठभूमि, असाधारण सपने

जन्म तिथि (D.O.B.): 15 अगस्त 1997 को जन्मे गौतम लाल का प्रारंभिक जीवन अत्यंत संघर्षमय था। उनके माता-पिता, श्री प्यारे लाल और श्रीमती चंपा देवी, दिहाड़ी मजदूर थे। आठ भाई-बहनों के बड़े परिवार में सबसे छोटे होने के बावजूद, वह परिवार के लिए आर्थिक सहारा बनने की जिम्मेदारी जल्द ही समझ गए थे।

गौतम लाल का सपना केवल एक सैनिक बनना नहीं था, बल्कि सेना में जाकर अपने परिवार के जीवन स्तर को ऊपर उठाना था। वह अपनी विशेष रूप से सक्षम बहन और वृद्ध दादाजी के प्रति विशेष रूप से समर्पित थे। उनका सेना में चयन केवल उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे गाँव के लिए गर्व का क्षण था, जो उनके दृढ़ संकल्प और कठिन परिश्रम का प्रमाण था।

21 पैरा (SF) कमांडो: कठोर प्रशिक्षण और समर्पण

वर्ष 2018 में भारतीय सेना में शामिल होने के बाद, गौतम लाल की उत्कृष्ट शारीरिक क्षमता और मानसिक कठोरता ने उन्हें विशिष्ट 21 पैरा (SF) बटालियन की ओर आकर्षित किया। पैरा कमांडो बनने के लिए आवश्यक कठोर प्रशिक्षण, जिसमें हेलीकॉप्टर से कूदना, जंगल वारफेयर और उच्च जोखिम वाले अभियानों की तैयारी शामिल है, उन्हें एक आम सैनिक से ‘वीआईपी’ (Very Important Paratrooper) बनाता है। Paratrooper Gautam Lal ने यह प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया और खुद को एक निडर, समर्पित और अनुशासित कमांडो के रूप में स्थापित किया।

अपने छोटे से करियर में, Paratrooper Gautam Lal ने पूर्वोत्तर भारत के अशांत क्षेत्रों में कई संवेदनशील आतंकवाद विरोधी अभियानों में भाग लिया, जहाँ हर कदम पर खतरा होता है।

दुखद घटना: मोन जिला, नागालैंड (4 दिसंबर 2021)

Paratrooper Gautam Lal
Paratrooper Gautam Lal

दिसंबर 2021 में, Paratrooper Gautam Lal की यूनिट नागालैंड के मोन जिले में तैनात थी। 4 दिसंबर 2021 को, एक ऑपरेशन के दौरान, दुर्भाग्य से एक गलत खुफिया जानकारी के कारण नागरिकों का नुकसान हुआ। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में भारी तनाव पैदा कर दिया।

इसके तुरंत बाद, जब ग्रामीण लापता लोगों की तलाश में घटनास्थल पर पहुँचे, तो सेना के जवानों और ग्रामीणों के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया। एक हिंसक हाथापाई (Scuffle) शुरू हो गई। Paratrooper Gautam Lal, उस तनावपूर्ण और अराजक स्थिति में भी अपनी ड्यूटी पर अडिग रहे। अपने साथियों और यूनिट की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए, इसी टकराव के दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्होंने अपनी चोटों के कारण, उसी दिन, कर्तव्य के पथ पर सर्वोच्च बलिदान दिया।

यह दुखद घटना भारतीय सेना के उन सैनिकों की ओर ध्यान दिलाती है, जिन्हें आंतरिक सुरक्षा अभियानों में अत्यंत जटिल और भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

मरणोपरांत सम्मान: सेना मेडल

सेना मेडल SM
सेना मेडल SM

राष्ट्र के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा, अद्वितीय साहस, और कठिनतम परिस्थितियों में कर्तव्य के प्रति उनके अटूट समर्पण के लिए, Paratrooper Gautam Lal पैराट्रूपर गौतम लाल को मरणोपरांत सेना मेडल (Sena Medal – Posthumous) से सम्मानित किया गया।

Paratrooper Gautam Lal का बलिदान उनके परिवार और राष्ट्र के लिए एक अमिट छाप छोड़ गया है। वह अपने माता-पिता, भाई-बहनों और पूरे समुदाय के लिए न केवल एक गर्व हैं, बल्कि एक ऐसी प्रेरणा हैं जिसने उन्हें सिखाया कि ईमानदारी और कड़ी मेहनत से जीवन में सबसे बड़े लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं।

Paratrooper Gautam Lal का जीवन हमें याद दिलाता है कि हमारे कमांडो हर दिन किस जोखिम का सामना करते हैं। उनकी शहादत, राष्ट्र की सुरक्षा के लिए किए गए अनगिनत बलिदानों में एक और चमकता हुआ अध्याय है।

राष्ट्र अपने इस बहादुर बेटे और उसके अप्रतिम शौर्य को कभी नहीं भूलेगा। जय हिन्द!

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