देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले माँ भारती के सपूत की कहानी: अदम्य साहस और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक
Inspector Dilip Kumar Das भारत भूमि हमेशा से वीर सपूतों की जन्मस्थली रही है, जिन्होंने अपने प्राणों की बाजी लगाकर राष्ट्र की संप्रभुता और सुरक्षा को सुनिश्चित किया है। इंस्पेक्टर दिलीप कुमार दास ऐसे ही एक असाधारण वीर थे, जिन्होंने आंतरिक सुरक्षा के सबसे चुनौतीपूर्ण मोर्चे पर अदम्य साहस का परिचय दिया और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी इस अविस्मरणीय वीरता के लिए उन्हें भारत का दूसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार ‘कीर्ति चक्र’ (Kirti Chakra) मरणोपरांत प्रदान किया गया।
यह ब्लॉग पोस्ट असम के इस जाँबाज़ अधिकारी की संक्षिप्त जीवनी, उनकी यूनिट, और उस ऐतिहासिक नक्सल विरोधी अभियान का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है, जिसने उन्हें भारतीय शौर्य गाथा में अमर कर दिया।

संक्षिप्त जीवनी: इंस्पेक्टर दिलीप कुमार दास Inspector Dilip Kumar Das
| विवरण | जानकारी |
| नाम | इंस्पेक्टर दिलीप कुमार दास |
| पद | इंस्पेक्टर/जीडी (General Duty) |
| यूनिट | 210 कोबरा बटालियन (CoBRA), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) |
| मूल निवास | असम (Assam) |
| शहादत की तिथि | 03 अप्रैल 2021 |
| वीरता पुरस्कार | कीर्ति चक्र (मरणोपरांत) |
| पुरस्कार ग्रहणकर्ता | उनकी धर्मपत्नी, श्रीमती प्रांजलि दास |
इंस्पेक्टर दिलीप कुमार दास का जन्म भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में हुआ था। उनमें बचपन से ही देश सेवा का गहरा जुनून था, जिसने उन्हें दुनिया के सबसे बड़े अर्धसैनिक बलों में से एक, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उनकी कार्यक्षमता और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए, उन्हें CRPF की एक विशिष्ट और कुलीन इकाई CoBRA (Commando Battalion for Resolute Action) की 210वीं बटालियन में तैनात किया गया। कोबरा बटालियन विशेष रूप से नक्सलवाद और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में ऑपरेशन चलाने के लिए जानी जाती है, जो कि भारत के सबसे खतरनाक मोर्चों में से एक है। इस बटालियन का हिस्सा होना ही उनकी असाधारण शारीरिक और मानसिक दृढ़ता का प्रमाण था।
शौर्य का वो दिन: बीजापुर का भीषण ऑपरेशन
इंस्पेक्टर दिलीप कुमार दास को कीर्ति चक्र से सम्मानित करने का कारण 3 अप्रैल 2021 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के टेकलागुडेम गांव के पास हुए एक भीषण नक्सल विरोधी ऑपरेशन में उनके द्वारा प्रदर्शित असाधारण बहादुरी, अनुकरणीय नेतृत्व और निस्वार्थ कर्तव्यपरायणता थी।
ऑपरेशन का विवरण:
-
संयुक्त अभियान की शुरुआत: 03 अप्रैल 2021 को, बीजापुर के घने और दुर्गम जंगलों में बड़े माओवादी कैडरों की उपस्थिति की खुफिया जानकारी मिली। इसके आधार पर CRPF, CoBRA, और छत्तीसगढ़ पुलिस की DRG (District Reserve Guard) सहित सुरक्षा बलों का एक विशाल संयुक्त दल तलाशी और घेराबंदी अभियान पर निकला।
-
घात और जवाबी हमला: दोपहर के समय, जैसे ही संयुक्त दल एक विशेष क्षेत्र में पहुँचा, माओवादियों के एक बड़े समूह ने सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला (Ambush) कर दिया। उन्होंने ऊँची चोटियों और प्राकृतिक कवर का फायदा उठाकर भीषण और अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। यह हमला इतना तेज था कि शुरुआती मिनटों में ही कई जवान घायल हो गए।
-
दिलीप दास का अदम्य साहस: इस प्राणघातक स्थिति में, इंस्पेक्टर दिलीप कुमार दास ने तुरंत स्थिति की गंभीरता को समझा। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की तनिक भी परवाह किए बिना, सबसे पहले स्वयं को अत्यधिक खतरे में डालकर आगे बढ़े और एक सुरक्षित फायरिंग पोजीशन स्थापित की। उनके इस साहसिक कदम ने उनकी टीम के बाकी सदस्यों को जवाबी कार्रवाई के लिए प्रेरित किया।
-
सर्वोच्च बलिदान और विजय: दिलीप दास ने न केवल बहादुरी से नक्सलियों की ओर से आ रहे घातक हमले का जवाब दिया, बल्कि एक महत्वपूर्ण कार्य किया—उन्होंने अपने घायल सहयोगियों को सुरक्षित निकालने के लिए एक मज़बूत रक्षात्मक घेरा (Defensive Perimeter) बनाया। वह लगातार गोलीबारी करते रहे, जिससे माओवादियों का ध्यान उन पर केंद्रित रहा और अन्य जवान अपनी पोजिशन सुधार सके। इस भीषण आदान-प्रदान के दौरान, उन्होंने अनेक नक्सलियों को मार गिराया, लेकिन अंततः देश की सेवा में लगी गोलियों से वह गंभीर रूप से घायल हो गए और वीरगति को प्राप्त हुए। उनका यह सर्वोच्च बलिदान सुनिश्चित करने में निर्णायक था कि माओवादी इस ऑपरेशन में अपने मंसूबों में कामयाब न हो सकें और उन्हें पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा।
Inspector Dilip Kumar Das राष्ट्र के गौरव : ‘कीर्ति चक्र’ (मरणोपरांत)

इंस्पेक्टर दिलीप कुमार दास की बहादुरी और बलिदान ने भारतीय आंतरिक सुरक्षा के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी है।वीर को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया, जो उनके सामूहिक शौर्य और निस्वार्थ सेवा का प्रमाण है।
पुरस्कार समारोह में, देश के राष्ट्रपति ने उनकी धर्मपत्नी, श्रीमती प्रांजलि दास, को यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया। यह सम्मान न केवल दिलीप कुमार दास की यादों को अमर करता है, बल्कि पूरे राष्ट्र को यह याद दिलाता है कि हमारे जवान किस दृढ़ता और साहस के साथ हमारी सुरक्षा करते हैं।
इंस्पेक्टर दिलीप कुमार दास का जीवन हमें निस्वार्थता, साहस और कर्तव्य के प्रति पूर्ण समर्पण का पाठ पढ़ाता है। उनकी बहादुरी की कहानी पीढ़ियों तक देशवासियों को प्रेरित करती रहेगी।
also read:-Naik Dilwar Khan (Kirti Chakra): 28 RR’s Martyrdom & Ultimate Sacrifice
follow us:-शौर्य गाथा Shaurya Saga | Facebook

