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Lt Shashank Tiwari: प्रभु श्री राम की अयोध्या नगरी से एक शहीद की अमर कहानी

अयोध्या—प्रभु श्री राम की पावन नगरी, जहां हर गली में भक्ति और बलिदान की कहानियां गूंजती हैं। यही वह भूमि है, जहां एक साधारण परिवार में जन्मा एक युवा नायक Lt Shashank Tiwari , ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। मात्र 23 साल की उम्र में, शशांक ने अपने साथी सैनिक को बचाने के लिए जो साहस दिखाया, वह आज हर भारतीय के दिल में बस गया है।

शशांक का बचपन और सपनों की उड़ान

अयोध्या के कौशलपुरी कॉलोनी, गद्दोपुर गांव में एक साधारण घर में Lt Shashank Tiwari का जन्म हुआ। सरयू नदी के किनारे बसी इस नगरी में, जहां हर सुबह भगवान राम के भजनों से शुरू होती है, शशांक का बचपन भी उसी माहौल में बीता। उनके पिता, जंग बहादुर तिवारी, मर्चेंट नेवी में काम करते थे और अक्सर समुद्र की यात्राओं पर रहते थे। मां नीता तिवारी और उनकी बहन के साथ शशांक ने अपने सपनों को पंख दिए।

Lt Shashank Tiwari अयोध्या के केजिंगल बेल स्कूल में पढ़ते वक्त वे न सिर्फ पढ़ाई में अच्छे थे, बल्कि खेल और नेतृत्व में भी अव्वल। 2019 में, जेबीए एकेडमी, फैजाबाद से इंटरमीडिएट पास करने के बाद, उसी साल, उन्होंने नेशनल डिफेंस अकादमी (एनडीए) में एंट्री ली।14 दिसंबर 2024 को, इंडियन मिलिट्री अकादमी (आईएमए) से पास आउट होकर वे सिक्किम स्काउट्स में लेफ्टिनेंट बने। यह उनकी पहली पोस्टिंग थी |

यह वो पल था जब अयोध्या का यह लाल Lt Shashank Tiwari अपने सपने—सेना की वर्दी पहनने—के करीब पहुंच गया।

मुझे लगता है, अयोध्या जैसी जगह में पलने का असर शशांक पर गहरा था। जहां एक तरफ भगवान राम का आदर्श सिखाता है कि कर्तव्य सर्वोपरि है, वहीं शशांक ने इसे अपनी जिंदगी में उतार लिया।

सिक्किम स्काउट्स: राम की नगरी से पहाड़ों तक

सिक्किम स्काउट्स भारतीय सेना की एक स्पेशल यूनिट है, जो 2013 में बनी थी। यह 11 गोरखा राइफल्स रेजिमेंट से जुड़ी हुई है और मुख्य रूप से हाई-एल्टीट्यूड इलाकों में काम करती है। यहां के सैनिक पहाड़ों, जंगलों और बर्फीले रास्तों में ट्रेनिंग लेते हैं। Lt Shashank Tiwari को यहां की 1st बटालियन में पोस्टिंग मिली, जहां वे रूट ओपनिंग पेट्रोल जैसी जिम्मेदारियां संभालते थे। यह काम आसान नहीं—ऊंचे पहाड़ों में रास्ते साफ करना, दुश्मन की नजर से बचना, और टीम को लीड करना।

लेकिन, अयोध्या का यह सपूत Lt Shashank Tiwari सिर्फ छह महीने की सेवा में ही एक ऐसी कहानी लिख गया, जो अमर हो गई।

वह दुखद दिन: 22 मई 2025 की घटना

22 मई 2025 को, उत्तरी सिक्किम के बीचू इलाके में Lt Shashank Tiwari अपनी टीम के साथ एक टैक्टिकल ऑपरेटिंग बेस (टीओबी) की ओर जा रहे थे। यह इलाका बेहद खतरनाक है—तेज बहाव वाली नदियां, ग्लेशियर से आने वाला पानी, और अचानक मौसम बदलना। टीम एक लॉग ब्रिज पार कर रही थी, जो लकड़ी के लट्ठों से बना था।

सुबह करीब 11:10 बजे, अग्निवीर स्टीफन सुब्बा नाम के एक सैनिक का पैर फिसला और वे तेज धारा वाली नदी में गिर गए। पानी का बहाव इतना तेज था कि बचना मुश्किल था। लेकिन Lt Shashank Tiwari ने पल भर में फैसला लिया। उन्होंने अपनी सेफ्टी की परवाह न करते हुए नदी में छलांग लगा दी। वे सुब्बा को पकड़कर बाहर लाने में कामयाब हुए। उनकी मदद के लिए नायक पुकार कटेल भी कूदे। सुब्बा और कटेल तो बच गए, लेकिन शशांक खुद बहते चले गए।

खोज अभियान चला—सेना की टीमों ने दिन-रात तलाश की, लेकिन उनका शव नहीं मिला। कारण? इलाके में ग्लेशियरल झील आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) की वजह से पानी अचानक बढ़ गया था, और भारी बारिश ने स्थिति और खराब कर दी। यह घटना हमें बताती है कि हमारे सैनिक कितने जोखिम में काम करते हैं। शशांक ने अपने साथी की जान बचाई, लेकिन खुद की कुर्बानी दे दी।

यह पल सिर्फ एक हादसा नहीं था—यह था अयोध्या के एक सपूत Lt Shashank Tiwari का बलिदान, जो अपने साथी के लिए सब कुछ न्योछावर कर गया।

सम्मान और यादें: शशांक की विरासत

Lt Shashank Tiwari के शहीद होने की खबर फैलते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। पूर्वी कमांड के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरसी तिवारी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने परिवार को 50 लाख रुपये की मदद दी और अयोध्या में एक स्मारक बनाने का ऐलान किया।  24 मई 2025 को, अयोध्या के जामथरा घाट पर उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ हुआ। हजारों लोग अंतिम यात्रा में शामिल हुए—यह दृश्य देखकर आंखें नम हो जाती हैं।

अगस्त 2025 में, उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। यह शांतिकाल का दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है। 12 सितंबर 2025 को, उनके पिता 11 गोरखा राइफल्स रेजिमेंटल सेंटर, लखनऊ पहुंचे और वहां मोटिवेशन हॉल में Lt Shashank Tiwari की कहानी को अमर किया गया। उनके पिता ने कहा, “मेरा बेटा हमेशा दूसरों की रक्षा करना चाहता था। वह अब भी जीवित है—हमारे दिलों में।”

एक प्रेरणा

Lt Shashank Tiwari  की कहानी सिर्फ एक सैनिक की नहीं,बल्कि साहस, बलिदान और देशभक्ति की है, बल्कि उस मिट्टी की है, जहां भगवान राम ने कर्तव्य का पाठ पढ़ाया। अयोध्या का यह नायक हमें सिखाता है कि सच्चा साहस वह है, जो दूसरों के लिए जिया जाए। वे हमें सिखाते हैं कि जीवन में कभी-कभी फैसले पल भर में लिए जाते हैं, लेकिन उनका असर हमेशा रहता है। आज जब हम अपने कम्फर्ट जोन में बैठे हैं, तो सोचिए—हमारे सैनिक सीमाओं पर क्या-क्या झेलते हैं। Lt Shashank Tiwari जैसे नायक हमें याद दिलाते हैं कि देश की सेवा सबसे बड़ा धर्म है।

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